काशी के गंगा घाट पर निर्भया के हत्यारों के पुतलों को दी गई फांसी
कई बार डेथ वारंट जारी होने के बाद भी बचते चले आ रहे निर्भया के हत्यारों को जल्द से जल्द फांसी पर लटकाने की मांग हर तरफ से हो रही है। संविधान के लचीलेपन का फायदा उठाकर बच रहे दरिंदों को फांसी पर नहीं लटकाने से काशी भी दुखी और क्षुब्ध है। अपने इसी दुख और आक्रोश को काशीवासियों ने रविवार को अलग अंदाज में लोगों के सामने रखा। चारों दरिंदों का पुतला बनाया और गंगा किनारे बूंदीपरकोटा घाट पर फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। फांसी पर लटकाने से पहले एक लघु नाटक भी किया गया। इसमें चारों दरिंदों के खिलाफ सुनवाई हुई और बिना देरी किये फांसी पर लटकाने की मांग की गई।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर घाट वॉक की ओर से हुए इस आयोजन में बेटियों-बहनों व माताओं को सम्मान और सुरक्षा देने का संकल्प भी लिया गया। महिलाओं के साथ गलत व्यवहार या भेदभाव करने वालों का सामाजिक बहिष्कार करने की अपील की गई। इस दौरान घाट वॉक के कल्पनाकार बीएचयू के न्यूरोलाजिस्ट प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र ने कहा कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता वाली भोलेनाथ की नगरी में दंड का तात्काल प्रावधान है। जनता चाहती थी कि होलिका जलने से पहले दरिंदे फांसी पर झूलें, मगर ऐसा नहीं हो सका। ऐसे में हम लोगों ने दरिंदों के प्रतीकात्मक पुतलों को फांसी पर लटकाकर मानसिक शांति प्राप्त की है।
लघु नाटक में जज की भूमिका अष्टभुजा मिश्र ने निभाई। निर्भया के वकील के रुप में गौरव कुमार सिंह, बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह के रूप में बृजेश उपाध्याय और निर्भया की मां के रूप में नीलम मौर्या ने अपनी बात रखी। इस दौरान शैलेश तिवारी, शिव विश्वकर्मा, युवा नेता अमित राय, विशाल दीक्षित, कविता गोड़, गोविन्द सिंह, विनय महादेव, संदीप सैनी सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।